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Champat Rai news 2024: जानिए कौन हैं चंपतराय (Champat Rai)जी? जिनके मार्गदर्शन में अयोध्या में श्री रामलला का बन रहा विशालतम मंदिर ।

जानिए कौन हैं चंपतराय Champat Rai जी? जिनके मार्गदर्शन में अयोध्या में श्री रामलला का बन रहा विशालतम मंदिर ।

चंपत राय जी की जीवनी Champat Rai Biography

मंदिर के निर्माण से जुड़ी हर आधिकारिक जानकारी चंपत राय के माध्यम से ही साझा की जाती है। चंपत राय ने बहुत लम्बे समय तक विश्व हिंदू परिषद से जुड़कर काम किया और 2020 में उन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का महासचिव नियुक्त किया गया था।

चंपत राय जी एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता हैं। बचपन से ही, चंपत राय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित होकर इससे जुड़ गए थे । उन्होंने संघ के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए अपना सबसे अच्छा प्रयास किया और संघ के प्रचारक के रूप में भी कार्य किया।

श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया क‍ि भव्‍य प्राण प्रत‍िष्‍ठा समारोह के ल‍िए मंद‍िर का भूतल बनकर तैयार है। 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद 22 जनवरी को रामलला बाल रूप में राम मंद‍िर में व‍िराजमान होंगे।

चंपत राय ने सर्वोच्च न्यायालय में राम मंदिर के मुकदमे की सुनवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और राम जन्मभूमि के पक्ष में महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाने में मदद की है।

पूजित अक्षत निमंत्रण कार्यक्रम अभियान की अगुवाई किया

22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। उससे पहले आम लोगों को ‘अक्षत निमंत्रण’ भेजने का सिलसिला शुरू हो गया है। अयोध्या में 1 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने खुद इस अभियान की अगुवाई की।

ढोल नगाड़ों की ध्वनि के बीच चंपत राय अयोध्या की गलियों में आम जन को अक्षत निमंत्रण देते देखे गए। इसका एक वीडियो सामने आया है। इसमें लोग पुष्प बरसाकर राय का स्वागत कर रहे हैं। उनकी आरती उतार रहे हैं।

कौन हैं राम मन्दिर में स्थापित होने वाले रामलला के मूर्तिकार?

श्री अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चयन हो गया है।
हमारे देश के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज अरुण द्वारा तराशी गई भगवान श्री राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी।
यह श्री राम और उनके परम भक्त हनुमान जी के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है।

एक मीडिया रिपोर्ट में चंपत राय के परिवार के लोगों के द्वारा बताया गया है कि वे (चंपत राय) इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू की गई इमरजेंसी के दौरान रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए थे और उन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।

इसके परिणामस्वरूप, लगभग 18 महीनों तक चंपत राय को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद किया गया। जेल से रिहा होने के बाद, वे अपने घर नहीं वापस गए, बल्कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के सदस्य बन गए। वर्तमान में, चंपत राय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं।

आईए जानते हैं चंपत राय जी के बारे में विस्तार से!

आपको बता दूं कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में VHP के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय का बेहद और बड़ा किरदार है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर स्थित नगीना कस्बे के सरायमीर मोहल्ले के निवासी रामेश्वर प्रसाद बंसल और चंदौसी निवासी सावित्री देवी का विवाह हुआ। नवंबर 18, 1946 में माता सावित्री देवी ने 10 संतानों में द्वितीय चंपत राय जी को जन्म दिया।उनके पिता भी अपने शुरुआती दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए थे।

आपातकाल के समय प्रोफ़ेसर चंपत राय को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 1975 तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा जबरन थोपे गए आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम डिग्री कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय बच्चों को फिजिक्स पढ़ा रहे थे। तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि वह संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है। पुलिस को भी अनुमान था,कि छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है।

प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये,मैं बच्चों की क्लास खत्म कर थाने आ जाऊँगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे,अतः वे लौट गए। क्लास खत्म कर बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर,प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे। माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया,और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए।

इमरजेंसी के दौरान 18 महीने तक उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत करने के बाद,जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के सरसंघचालक श्री रज्जू भैया ने पहचाना और श्री राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या जी को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया।

चंपत राय जी अवध में राम मंदिर निर्माण क्रांति की ज्वाला जलाने वाले

चंपत राय ने राम मंदिर निर्माण कार्य करने के लिए अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दी और रामकाज करने में जुट गए। वे अवधक्षेत्र के गाँव-गाँव गये, द्वार- द्वार खटखटाया। एक ऐसा स्थानीय स्तर पर युवा फौज खड़ी की,जो हर स्थिति से लड़ने को तैयार थी।
अयोध्या के हर गली कूँचे ने चंपत राय जी को पहचान लिया और हर गली कूंचे को उन्होंने भी पहचान लिया उनके दिमाग में पूरा पूरा अवध क्षेत्र का खाका तैयार हो गया। उन्हें अवध का इतिहास,वर्तमान,भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई,कि उन्हें लोग “अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया” उपनाम से बुलाने लगे।

आपको जानकारी दे दूं कि बाबरी ध्वंस के पूर्व से ही चंपत राय जी ने राम मंदिर पर “डॉक्यूमेंटल एविडेंस” जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पन्ने के डॉक्यूमेंट पढ़े और उन्हें सहेजकर रखा आज भी उनका घर इन कागजातों से भर गया। साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई।
के.परासरण जी और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे,तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

चंपत राय जी ने बाबरी विध्वंस मामले में अहम भूमिका निभाई

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे बाबरी ढांचे को नुकसान न पहुचाने की कसमें दी जा रहीं थीं,उस समय चंपत राय जी मंच से कुछ दूर स्थानीय युवाओं के साथ थे एक पत्रकार ने चंपत राय से पूछा “अब क्या होगा?”

उन्होंने हँस कर उत्तर दिया “ये राम की वानर सेना है,सीटी की आवाज पर पी टी करने यहां नहीं आयी। ये जो करने आयी है,करके ही जाएगी”इतना कह उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया, और बाबरी ढांचे की ओर बढ़ गये। फिर सिर्फ जय श्री राम का नारा गूंजा और इतिहास रचा गया।

ऐसे ही चंपत राय जी को राममंदिर निर्माण हेतु ट्रस्ट का महासचिव बना दिया गया है।

बाबरी ध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह जी के बाद चंपत राय जी ने ही अदालत और जनसामान्य दोनों के सामने सदैव खुल कर उस ऊपर लिया है।

चंपत राय जी अयोध्या जी के बाद मथुरा की लेंगे जिम्मेदारी

आपको जानकर हर्ष होगा कि चम्पत राय जी कह चुके हैं,कि जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे युवा पीढ़ी को मथुरा की जिम्मेदारी निभाने को प्रेरित करने में जुट जाएंगे”।

एक मजेदार वाकया

चंपत राय जी धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने वाले तपस्वी और विद्वान हैं। एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके,तब रात्रि में देखा तो पाया कि बेड की दिशा कुछ ऐसा था कि सोते हुए पैर दक्षिण की तरफ हो जा रहे थे,उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था,रात में ही उन्होंने बेड की दिशा ठीक करवाया,तभी सोए।

चंपत राय जी असली सनातन का योद्धा हैं

धोती कुर्ता पहनकर भारत का गाँव गाँव नापने वाला व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवनचर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है।
वह श्रीराम मंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा,समझा जा सकता है यह व्यक्ति सनातन का योद्धा है। कोई मुंह फाड़कर बकवास करने वाला कायर नहीं।उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है प्यार से उन्हें लो

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