Chaudhari Charan Singh Biography In Hindi:चौधरी चरण सिंह के किसान नेता से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर, जानिए उनके द्वारा किए गए भूमि सुधारों और उनके 10 क्रांतिकारी विचारों को!

Chaudhari Charan Singh Biography In Hindi:चौधरी चरण सिंह के किसान नेता से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर, जानिए उनके द्वारा किए गए भूमि सुधारों और उनके 10 क्रांतिकारी विचारों को!

दोस्तों, आज हम आपको भारत के पाँचवे प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरण सिंह का जीवन गाथा Chaudhari Charan Singh Biography के बारे में बताएँगे। प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने भारत के गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के तौर पर भी कार्य किया था। उन्होंने अपने जीवन कार्यकाल में प्रमुख किसान राजनेता के रूप में भी कई कार्य किये है। देश के किसानों की स्थिति सुधारना यह उनका हेतु था। देश की राजनीति एवं किसान सम्बन्धी क्षेत्रों में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय जाट किसान परिवार में हुआ था।वह भारत के किसान राजनेता एवं पाँचवें प्रधानमंत्री थे।


चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ।

उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था।
राजबन्दी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई। जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित पुस्तक ‘‘शिष्टाचार‘‘, भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है।1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर उनका साथ दिया। जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

चौधरी चरण सिंह का राजनैतिक जीवन


वे सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया।

जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने।

श्री सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में वे गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। श्रीमती सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया।

किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला।उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया।

किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया।भूमि हदबंदी कानून उनके कार्यकाल की प्रमुख‍ विशेषता है। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की।

चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री बने


28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्णजीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया।


उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं- ‘अबॉलिशन ऑफ जमींदारी’, ‘भारत की भयावह आर्थिक स्थिति, इसके कारण और निदान’, ‘लीजेंड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एंड इट्स सोल्यूशंस’। वे हिन्दी, अंग्रेजी के साथ ही उर्दू के भी अच्छे जानकार थे।

किसान दिवस और उनसे जुड़ी दिलचस्प यादें


उनकी याद में किसान दिवस मनाया आता है. दिलचस्प है कि खेती उन्होंने कभी की नहीं. पर ये भी सच है कि वे जीवन भर खेती-किसानी से जुड़े सवालों को लेकर मुखर रहे। आज उनकी जयंती है। किसानों के वैचारिक-राजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में वे हर मोर्चे पर सक्रिय रहे।
चौधरी चरण सिंह के नाती और चरण सिंह अभिलेखागार का काम देख रहे हर्ष सिंह लोहित चरण सिंह की शख़्सियत के कुछ दूसरे पहलुओं पर रोशनी डालते हुए कहते हैं, ”कम लोगों को मालूम होगा कि वो संत कबीर के बड़े अनुयायी थे। कबीर के कितने ही दोहे उन्हें याद थे, वो धोती और देसी लिबास पहनते थे और एक पुरानी ‘एचएमटी’ घड़ी बाँधते थे, वो भी उल्टी,वो सौ फ़ीसदी शाकाहारी थे,तंबाकू और सिगरेट के सेवन का कोई सवाल ही नहीं था”

किसान दिवस 23 दिसंबर को सुबह 11 बजे पहुंचेंगे मुख्यमंत्री


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसान दिवस के मौके पर मुरादाबाद में किसान नेता चौधरी चरण सिंह की 51 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने ढकिया नरू गांव के पास स्थित कार्यक्रम स्थल का जायजा लिया। डीएम और एसएसपी ने चौधरी चरण सिंह की निर्माणाधीन प्रतिमा का अवलोकन किया।

अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह और वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल चौधरी ने बताया कि मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से सीएम के बिलारी आने का कार्यक्रम जिला प्रशासन को जारी हो गया है। महासभा पदाधिकारियों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हेलीकॉप्टर से ढकिया नरू गांव के जंगल में स्थित प्रतिमा स्थल पर 23 दिसंबर की सुबह 11 बजे पहुंचेंगे।

चौधरी चरण सिंह के क्रांतिकारी विचार :

1• देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है।

2• असली भारत गांवों में रहता है।किसानों की दशा सुधरेगी तो देश सुधरेगा।

3• राष्ट्र तभी संपन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो तथा ग्रामीण क्षेत्र की क्रय शक्ति अधिक हो।

4• अगर देश को उठाना है तो पुरुषार्थ करना होगा,हम सब को पुरुषार्थ करना होगा मैं भी अपने आपको उसमें शामिल करता हूँ, मेरे सहयोगी मिनिस्टरों को, सबको शामिल करता हूँ,हमको अनवरत् परिश्रम करना पड़ेगा ,तब जाके देश की तरक्की होगी।

5• किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है।

6• किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ती तब तक औधोगिक उत्पादों की खपत भी संभव नहीं है।

7• हरिजन लोग, आदिवासी लोग, भूमिहीन लोग, बेरोजगार लोग या जिनके पास कम रोजगार है और अपने देश के 50% फीसदी किसान जिनके पास केवल 1 हैक्टेयर से कम जमीन है ,इन सबकी तरफ सरकार विशेष ध्यान होगा।

8• सभी पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जनजातियों को अपने अधिकतम विकास के लिये पूरी सुरक्षा एवं सहायता सुनिश्चित की जाएगी।

9• किसान इस देश का मालिक है, परन्तु वह अपनी ताकत को भूल बैठा है।

10• भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी, चाहे कोई भी लीडर आ जाये, चाहे कितना ही अच्छा प्रोग्राम चलाओ … वो देश तरक्की नहीं कर सकता।

चौधरी चरण सिंह का निधन 29 मई 1987 में हुआ। दिल्ली में यमुना के किनारे उनकी समाधि है जिसे किसान घाट के तौर पर जाना जाता है। उनके निधन के बाद लोक दल का नया अध्यक्ष उनके बेटे अजित सिंह को बनाया गया। अजीत सिंह के निधन के बाद इसी लोक दल के सहारे उनके बेटे आज राजनीति के मैदान में हैं।
देश में अनेक सरकार संस्थान चौधरी चरण सिंह के नाम से हैं। लखनऊ का अमौसी एयरपोर्ट को भी चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कहा जाता है। मेरठ में भी उनके नाम से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय है।

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