Uttar pradesh news updates 2024: प्रदेश के सफाई कर्मियों द्वारा घर बैठकर सरकार को लगाया जा रहा चूना, हो रहा बहुत बड़ा घोटाला!

Uttar pradesh news updates 2024: प्रदेश के सफाई कर्मियों द्वारा घर बैठकर सरकार को लगाया जा रहा चूना, हो रहा बहुत बड़ा घोटाला!

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामसभा स्तर पर नियुक्त सफाई कर्मी आज पूरी तरह से घर बैठकर सरकार को लगा रहे हैं चूना क्योंकि यह कभी भी किसी भी ग्रामसभा में साफ सफाई का काम नहीं करते हैं और घर बैठे सरकार से 30000 से ₹40000 प्रति माह मुफ्त में प्राप्त करते हैं

इसी तनख्वाह से थोड़ा बहुत अंश निकालकर चढ़ावा के रूप में चढ़ाते रहते हैं और ठाठ के साथ अपनी नौकरी पूरी करते हैं उन्हें ना तो किसी अधिकारी का डर है और ना ही किसी कर्मचारी का डर है।

हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं क्योंकि हमने इसका गहन अध्ययन किया है और विस्तृत रूप से जानकारी जुटाने के पश्चात ही आपसे यह बात लेख के माध्यम से साझा कर रहा हूं इन सफाई कर्मियों से विभाग के अन्य कामों को लिया जाता है अथवा इसका एक उदाहरण देखिए जब से इन लोगों की नियुक्ति हुई है इनमें से लगभग 90% सफाई कर्मी अपनी ग्राम सभा में कभी जाते ही नहीं है।

अगर गए भी तो सिर्फ और सिर्फ ग्राम सचिवालयों की सफाई करके वापस आ जाते हैं जबकि इनको निर्देश दिया गया है ग्राम सभा में स्थित समस्त सरकारी उपक्रमों, प्रतिष्ठानों , सरकारी विद्यालयों और बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों तथा मुख्य मार्ग चौराहा, बाजार,खड़ंजा और ग्राम सभा में स्थित समस्त सरकारी नालियों की साफ सफाई,

इसके अतिरिक्त ग्राम सभा स्तर पर वर्तमान में निर्मित किए गए सामुदायिक शौचालय में साफ सफाई करने की जिम्मेदारी होती है लेकिन हमने ही नहीं आपने भी यह महसूस किया होगा कि हमारे ग्राम सभा में कौन सफाई कर्मी नियुक्त है?

और वह साफ सफाई करने कब आता है? और साफ सफाई का कार्य पिछले कितने दिनों से नहीं किया है? इसकी किसी को भी जानकारी नहीं होती है।


यदि थोड़ा बहुत दबाव होता है तो केवल और केवल ग्राम प्रधान का इसलिए उनके कार्यालय ग्राम सचिवालय को यह सफाई कर्मी थोड़ा बहुत साफ कर देते हैं इसके अतिरिक्त समस्त सफाई कर्मी अपने ब्लॉक मुख्यालय या स्थानीय चौराहा आदि स्थान पर बैठकर केवल और केवल राजनीति करते हैं। राजनीति के अलावा उनके पास किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं है।

अब इन सफाई कर्मियों को कोई ध्यान नहीं देता है, ना ही उनकी तरफ किसी का ध्यान भी जाता है, समाज का चाहे जो तबका हो उनके सेवा कार्य पर कोई उंगली नहीं उठाता है क्योंकि ऐसा लगता है इन्हें लोग सरकारी कर्मचारी मानते ही नहीं है कि सफाई कर्मी भी कोई सरकारी कर्मचारी की तरह कार्यकर्ता है

जबकि वास्तव में इनकी भी ड्यूटी है कि कम से कम 6 से 8 घंटे तक के अपनी ग्राम सभा में साफ सफाई का कार्य करें लेकिन इन्हें तो कोई 1 घंटे भी काम नहीं करवा सकता। क्योंकि कहावत है ‘जब सैंया भाई कोतवाल तो अब डर काहे का’


जब इन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को ही मिला लिया है तो काम करने की क्या जरूरत है मैं यह सब आप सबसे इसलिए नहीं बता रहा हूं की मैं इनके खिलाफ हूं या मैं किसी व्यवस्था के खिलाफ हूं।मेरा यह सब बताने का एकमात्र उद्देश्य है की बेसिक शिक्षा विभाग की परिषदीय विद्यालयों में ना तो कोई चपरासी नियुक्त होता है और ना ही कोई सफाई कर्मी नियुक्त होता है।

ऐसे में बेसिक के परिषदीय विद्यालयों में साफ सफाई का जिम्मा ग्राम सभा स्तर पर नियुक्त सफाई कर्मी के ही हाथों होता है और यह सफाई कर्मी कभी विद्यालय की साफ सफाई करने जाते ही नहीं है उसका परिणाम यही निकल कर आता है कि

विद्यालय में साफ सफाई न होने से गंदगी होने से जब कोई उच्च अधिकारी, जिला अधिकारी, उप जिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी या राज्य स्तर के अन्य कोई अधिकारी इन परिषदीय विद्यालयों के चेकिंग के लिए विद्यालय में पहुंचते हैं तो साफ सफाई न होने के कारण सीधा उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक को दोषी मानते हुए निलंबित अथवा वेतन काटने का आदेश देकर अपनी जिम्मेदारी से इतश्री कर लेते हैं।

जबकि इस साफ सफाई वाली व्यवस्था के लिए जितना जिम्मेदार उस विद्यालय का प्रधानाध्यापक है उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदार यह अधिकारी भी हैं जिनके आदेश और निर्देश पर इन सफाई कर्मियों को उसे विद्यालय की साफ सफाई का जिम्मा दिया जाता है। क्या इन अधिकारियों की इतना फर्ज नहीं बनता? कि उस सफाई कर्मी से पूछताछ कर सकें

कि अगर आपकी इस ग्राम सभा में ड्यूटी है तो आपने इस विद्यालय को क्यों साफ नहीं किया? आप ज्यादा दिन उस विद्यालय में समय न दे सकें तो कम से कम सप्ताह में एक बार तो अवश्य ही उस विद्यालय की सफाई कर दें लेकिन ऐसा नहीं है।

सफाई कर्मी को किसी भी प्रकार की सजा देने में यह लोग सक्षम नहीं है जबकि सच्चाई यह है कि असहाय निरुपाय केवल और केवल परिषदीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक या वरिष्ठ शिक्षक या इंचार्ज प्रधानाध्यापक को पाते हैं और उन्हें बेवजह सजा देकर चले जाते हैं जबकि पूरा का पूरा दोष किसी और का है लेकिन नहीं इस पर ध्यान कोई नहीं देता है कई बार ऐसा भी होता है किसी नेता या मंत्री या किसी अधिकारी का दौरा होने पर यह थोड़ा बहुत साफ सफाई कर देते हैं।

लेकिन केवल इन्ही मौकों पर और सामान्य दिनों पर कभी भी यह सब साफ-सफाई नहीं करते हैं और ऐसे मौकों पर भी वह किराए का लेबर पड़कर यह साफ सफाई करवाने का काम करते हैं स्वयं नहीं करते हैं इनको साफ सफाई करने में शर्म आती है

जिस काम के लिए इन्होंने नियुक्ति प्राप्त की है उसे काम को करने से कतराते हैं और भाड़े का लेबर पकड़कर उससे काम को करवाते हैं क्या यह कदाचार की श्रेणी में नहीं आता?

अपराध की श्रेणी में नहीं आता?
आता है बिल्कुल आता है लेकिन इसको कोई ध्यान नहीं देता है, तो मेरा इतना ही कहना है कि मैं किसी का विरोध नहीं कर रहा हूं ना किसी व्यवस्था का विरोध कर रहा हूं ना मैं किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप लगा रहा हूं, यह एक सामूहिक समस्या है और इस समस्या पर सभी का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। यह कहना अधिक नहीं होगा यह समस्या मेरी व्यक्तिगत ही नहीं पूरे प्रदेश के लगभग 90% परिषदीय विद्यालयों की साफ सफाई से जुड़ा मुद्दा है।

और यदि किसी को विश्वास ना हो तो जांच कर लें। सर्वे करवाया जा सकता है ज्यादातर मामलों में प्रतिफल बहुत अच्छा नहीं प्राप्त होगा।


किस मुद्दे पर हम जनपद के उच्च अधिकारियों, राज्य स्तर के उच्च अधिकारियों से सिर्फ और सिर्फ इतनी मांग करते हैं कि परिषदीय विद्यालयों की साफ सफाई की समुचित व्यवस्था सप्ताह में कम से कम दो दिवस अवश्य करवाई जानी चाहिए जिससे कि परिषदीय विद्यालयों में अध्यनरत बालक बालिकाएं विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित बच सकें और साथ ही उसे विद्यालय के प्रधानाध्यापक, प्रभारी प्रधानाध्यापक आदि इस प्रकार की अवैध कार्यवाहियों से बच सकें क्योंकि साफ सफाई बहुत बड़ा विषय है जिसके लिए हम सभी को ध्यान देना होगा।

डिसक्लेमर:

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

Leave a comment